Sant Ravidas Biography in Hindi: संत रविदास जी का जीवन परिचय,जन्म, शिक्षा, गुरु एवं शिष्य, रचनाएँ एवं भाषा शैली
Ravidas Ka Jivan Parichay: संत रविदास का मध्ययुगीन साधकों में विशिष्ट स्थान है। संत रविदास कबीर के समसामयिक कहे जाते हैं। वहीं भारत के विभिन्न भागों की स्थानीय बोली व उच्चारणगत भिन्नता के कारण रविदास जी के नाम के अनेक रूपांतरण हैं, जिनमें प्रचलित नाम ‘रैदास’, ‘रयदास’, ‘रईदास’, ‘रुईदास’, ‘रुद्रदास’, ‘रामदास’ और ‘रुहिदास’ हैं। उनके ‘रैदास’ और ‘रविदास’ नाम ही सर्वाधिक प्रचलन में हैं। वहीं ‘रैदास’ उनका लोक प्रचलित नाम है। कबीरदास की तरह रविदास भी मूर्तिपूजा और तीर्थयात्रा में विश्वास नहीं रखते थे बल्कि वह व्यक्ति की आंतरिक भावनाओं और आपसी सौहार्द एवं भाईचारे को ही सच्चा धर्म मानते थे। रविदास जी के “चालीस पद” सिखों के पवित्र धर्मग्रंथ ‘गुरुग्रंथ साहिब’ (Gurugranth Sahib) में सम्मिलित हैं।

इस वर्ष 12 फरवरी, 2025 को संत शिरोमणि रविदास जी की जयंती (Guru Ravidas Jayanti 2025) मनाई जाएगी। रविदास जयंती का पर्व प्रत्येक वर्ष माघ माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने का उद्देश्य मुख्यतः सामाजिक समानता और भक्ति के प्रति उनके महत्वपूर्ण योगदान को दर्शाना है।
विदित है कि संत रविदास के पदों को भारत के विभिन्न विद्यालयों हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के अलावा बी.ए. और एम.ए. के पाठ्यक्रम (Syllabus) में विभिन्न केंद्रीय व राज्य विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता हैं। उनकी कृतियों पर कई शोधग्रंथ लिखे जा चुके हैं। वहीं, बहुत से शोधार्थियों ने उनके साहित्य पर Ph.D की डिग्री प्राप्त की हैं। इसके साथ ही UGC/NET-JRF और UPSC परीक्षा में हिंदी विषय से परीक्षा देने वाले स्टूडेंट्स के लिए भी संत रविदास का जीवन परिचय और उनकी काव्य रचनाओं का अध्ययन करना आवश्यक हो जाता है।
आइए अब इस ब्लाग में विश्वविख्यात संत शिरोमणि रविदास जी का जीवन परिचय (Ravidas Ka Jivan Parichay) और उनकी साहित्यिक रचनाओं, भाषा शैली आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं।
Ravidas,’s Birth & Birthplace, Parents: रविदास जी का जन्म, जन्मस्थान, मातापिता
निर्गुण परंपरा के प्रमुख संत कबीरदास व अन्य संतों की तरह संत रविदास का कोई प्रमाणिक जीवनवृत्त अब तक सुलभनहीं हो सका हैं। किंतु अनेक विद्वानों द्वारा यह माना जाता है कि संत रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा के दिन सन 1388 ई. में वाराणसी के सीर गोवर्धनपुर नामक गांव में हुआ था। जबकि देहावसान सन 1518 ई. के आसपास बनारस (वाराणसी) में ही हुआ था। वहीं उनके द्वारा रचित वाणी से यह पता चलता है कि रविदास जी का जन्म दलित समाज (जाति) की कुटबांढला नामक शाखा में हुआ था। माना जाता है कि रविदास जी के माता-पिता ने इनका विवाह ‘लोना’ नामक लड़की से कर दिया था। ऐसा विश्वास है कि रविदास एवं लोना के पुत्र भी हुआ जिसका नाम ‘विजयदास’ था।
Ravidas’s Education: रविदास जी की शिक्षा, गुरु व उनके शिष्य
संत रविदास का बचपन अत्यधिक विषम परिस्थितियों में बीता था। वहीं बाल्यावस्था से ही उनका मन साधु-संतों के प्रवचन एवं सत्संग में रमने लगा था। नाभादास कृत ‘भक्तमाल’ (Bhaktamal) के अनुसार रामानंद के बारह शिष्यों में रविदास का नाम भी आता है। जबकि दूसरी ओर सेन नाई कृत ‘रविदास कबीर गोष्ठी’ में रविदास को ‘कबीर’ का शिष्य माना गया है।
बताया जाता है कि कबीर की भांति संत रविदास को किसी विद्यालय में विधिवत शिक्षा नहीं प्राप्त हुई थी। वह अशिक्षित अर्थात अनपढ़ कहे जाते हैं। उन्होंने जो भी कहा अपने जीवन के अनुभवों और आंतरिक अनुभवों से ही वर्णित किया। उन्हें ब्रज, संस्कृत, उर्दू और फ़ारसी तथा कई स्थानीय भाषाओं का ज्ञान था। इसलिए उनकी रचनाओं में देश की विभिन्न बोली-भाषाओं के शब्द मिलते हैं।

वहीं संत रविदास जी के शिष्यों में ‘मीराबाई’ (Mirabai) का नाम लिया जाता है। मीराबाई ने बड़ी भक्ति के साथ अपने भजनों में इनका नाम लिया है, “रैदास संत मिले मोहि सतगुरु, दीन्ही सूरत सहदानी“। इसके साथ ही प्रियादास कृत ‘भक्त रसबोधिनी’ में चितौड़ की ‘झाली रानी’ को भी रविदास की शिष्या बताया गया है। विद्वानों द्वारा क्षत्रिय राजा पीपा को भी इनका शिष्य बताया जाता है। रविदास ने एक पंथ भी चलाया, जो ‘रैदासी पंथ’ के नाम से प्रसिद्ध है। इस मत के अनुयायी पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि प्रदेशों में मिलते हैं।
रविदास जी का निर्गुण काव्य में योगदान: Contribution to Nirguna Poetry
कबीरदास की तरह रविदास जी ने भी आडंबर व पाखंड पर जमकर प्रहार किया था। उन्हें भी अन्य निर्गुण साधकों की भांति तीर्थाटन, मूर्तिपूजा, व्रत-उपवास व वेश धारण करना आदि पर विश्वास नहीं था। उनका मानना था कि ईश्वर मनुष्य के भीतर है। उसे किसी अन्य स्थान पर ढूंढने की आवश्यकता नहीं है। उस परम प्यारे को आतंरिक अभ्यास और सुमिरन द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। रविदास जी के चालीस पद सिखों के पवित्र धर्मग्रंथ ‘गुरुग्रंथ साहिब’ में भी सम्मिलित हैं।
Ravidas Ki Bhasha Shaili: रविदास की भाषा शैली
संत रविदास जी (Ravidas Ka Jivan Parichay) ने अपनी काव्य कृतियों में सरल व व्यावहारिक ब्रजभाषा का प्रयोग किया है, जिसमें अवधी, खड़ी बोली, राजस्थानी और उर्दू-फारसी के शब्दों का भी मिश्रण देखने को मिलता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में उपमा और रूपक अलंकार का विशेष रूप से प्रयोग किया है। वहीं सीधे-सादे पदों में संत कवि ने हृदय के भाव बड़ी सफाई से प्रकट किए हैं।
Guru Ravidas Jayanti 2025: गुरु रविदास जयंती 2025
भारत मे प्रत्येक वर्ष माघ महीने की पूर्णिमा तिथि को गुरु रविदास जयंती (Guru Ravidas Jayanti 2025) मनाई जाती है। इस वर्ष 12 फरवरी, 2025 को गुरु रविदास जी की जयंती मनाई जाएगी। इस दिन संत रविदास जी के भक्त भजन कीर्तन करते हैं और शोभा यात्रा निकालते हैं। बताना चाहेंगे गुरु रविदास जयंती को मनाने के लिए विभिन्न देशों से भी श्रद्धालु आते हैं। वहीं उनकी जन्मदिवस पर पवित्र नदी या संगम में स्नान का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन विभिन्न स्थानों पर भंडारे करवाए जाते हैं व भक्त दान-पुण्य भी करते हैं। इस विशेष अवसर पर संत रविदास जी के दोहें आज भी मंचों पर गाए और सुनाए जाते हैं।
FAQS
Q. संत रविदास का जन्म कहां हुआ था?
Ans. संत रविदास का जन्म माघ पूर्णिमा के दिन सन 1388 में वाराणसी के सीर गोवर्धनपुर गांव में हुआ था।
Q. रविदास जी का गांव कौन सा है?
Ans. वाराणसी के सीर गोवर्धनपुर गांव को संत रविदास जी का जन्म स्थान माना जाता है।
Q. संत रविदास की पत्नी कौन थी?
Ans. बालयवस्था में रविदास जी का विवाह लोना देवी से कर दिया गया था।
Q. संत रविदास की मृत्यु कहाँ हुई थी?
Ans. संत रविदास जी का देहावासन सन 1518 के आसपास बनारस में हुआ था।
Q. मीरा के गुरु कौन थे?
Ans. संत रविदास जी को मीराबाई का गुरु माना जाता है।
Q. रविदास के गुरु का नाम क्या था?
Ans. संत कवि रविदास के गुरु का नाम रामानंद था।
Q. संत रविदास के कितने बच्चे थे?
Ans. रविदास जी के पुत्र का नाम ‘विजयदास’ था।