Children’s Day 2025: भारत में प्रतिवर्ष 14 नवंबर को ‘बाल दिवस’ विद्यालयों में हर्षोल्लास से मनाया जाता है है। यह दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू की जन्मदिवस का सूचक है, जो स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे और बच्चों के प्रति अपने अगाढ़ प्रेम के लिए जाने जाते थे। उन्हें स्नेह से ‘चाचा नेहरू’ पुकारा जाता था। नेहरूजी का मानना था कि बच्चे ही देश का असली भविष्य हैं, और उनकी शिक्षा तथा विकास में निवेश करना एक सशक्त एवं समृद्ध भारत की नींव रखना है।
पंडित जवाहरलाल नेहरू की जीवनी : Biography of Pt Jawaharlal Nehru
◆ कब मनाया जाता है- 14 नवंबर (हर साल)
◆ मुख्य कारण- पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती (1889-1964)
◆ उपनाम चाचा नेहरू-आधिकारिक घोषणा 1957 में भारत सरकार द्वारा (1964 से नेहरू के निधन के बाद पूर्ण रूप से लागू)
◆ मुख्य उद्देश्य- बच्चों के अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण पर जागरूकता बढ़ाना
◆ प्रतीक- गुलाब का फूल (नेहरू को बच्चों से उपहार में मिलता था)
◆ प्रथम आयोजन- 1954 दिल्ली के राष्ट्रीय स्टेडियम में (50,000+ बच्चे शामिल)
◆ विशेष गतिविधियाँ- नृत्य, नाटक, खेल, भाषण, चित्रकला, जागरूकता अभियान
◆ महत्वपूर्ण उद्धरण- “आज के बच्चे कल का भारत बनाएंगे।” पंडित जवाहरलाल नेहरू
बाल दिवस का इतिहास (Children Day History)
5 नवंबर 1948 को सबसे पहले “फूल दिवस” के रूप में बाल दिवस आयोजित किया गया था। इसका मकसद भारतीय बाल कल्याण परिषद (ICCW) द्वारा यूनाइटेड नेशंस अपील फॉर चिल्ड्रन (UNAC) के लिए “फूल टोकन” बेचकर धन संग्रह करना था। 30 जुलाई 1949 को इसे “बाल दिवस” के रूप में मनाने की शुरुआत हुई, जिसका प्रचार रेडियो, समाचार पत्र-पत्रिकाओं और सिनेमा के जरिए किया गया।
1951 में, व. म. कुलकर्णी (विनायक महादेव कुलकर्णी), जो संयुक्त राष्ट्र के सामाजिक कल्याण साथी के तौर पर इंग्लैंड में बच्चों के पुनर्वास पर शोध कर रहे थे, ने देखा कि भारत में तमाम वंचित बच्चों के लिए कोई व्यवस्थित सहायता नहीं थी। इंग्लैंड में क्वीन एलिज़ाबेथ द्वितीय के जन्मदिन पर “फ्लैग डे” का आयोजन देखकर कुलकर्णी ने प्रस्ताव रखा कि नेहरू का जन्मदिन “फ्लैग डे” की तरह मनाया जा सकता है, ताकि बाल कल्याण के लिए धन इकट्ठा किया जा सके। नेहरू ने इस विचार को पहले हिचकिचाहट के साथ स्वीकार किया, लेकिन बाद में सहमति जताई।
पहली बार बाल दिवस कब मनाया गया
14 नवंबर को नेहरू का जन्मदिन 1940 के दशक से ही भारत और प्रवासी भारतीयों के बीच मनाया जा रहा था। 1954 में पहली बार इसे “बाल दिवस” के रूप में मनाया गया। उस साल दिल्ली के राष्ट्रीय स्टेडियम में हुए समारोह में 50,000 से ज्यादा बच्चों ने हिस्सा लिया। 1957 में भारत सरकार ने इसे आधिकारिक रूप से बाल दिवस घोषित किया। भारतीय डाक विभाग ने “बाल दिवस” पर पहली बार विशेष डाक टिकट और पहले दिन का कवर जारी किया।
बाल दिवस का महत्व
बाल दिवस सिर्फ बच्चों के लिए एक खास दिन नहीं है, बल्कि यह बच्चों के अधिकारों, उनके कल्याण और शिक्षा के महत्व पर बल देने का अवसर भी है। पंडित नेहरू हमेशा कहते थे, “आज के बच्चे कल के भारत का निर्माण करेंगे।” उनकी सोच थी कि प्रत्येक बच्चे को अपनी क्षमता पहचानने और समाज में योगदान देने का अवसर मिलना चाहिए।
बाल दिवस बच्चों के विकास, शिक्षा और उनकी सुरक्षा की दिशा में प्रयास करने की प्रेरणा प्रदान करता है। इस दिन देशभर के स्कूलों और संस्थानों में विभिन्न कार्यक्रम और गतिविधियां आयोजित की जाती हैं, जैसे…….
◆ सांस्कृतिक कार्यक्रमः नृत्य, संगीत और नाटक।
◆ खेलकूद प्रतियोगिताएं।
◆ संपूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य पर जागरूकता कार्यक्रम।
◆ सामाजिक सेवाएं और बच्चों की भलाई के लिए अभियानों की शुरुआत।
बाल दिवस के माध्यम से जागरूकता
बाल दिवस एक ऐसा मौका है जो बच्चों के अधिकारों और उनके कल्याण की स्थिति पर समाज का ध्यान आकर्षित करता है। यह दिन हमें बच्चों के लिए बेहतर और सुरक्षित माहौल बनाने की जरूरत की याद दिलाता है।
बच्चों के अधिकारों में शामिल हैं:
★ जीवन का अधिकार।
★ शिक्षा का अधिकार।
★ स्वास्थ्य और पोषण का अधिकार।
★ खेल और मनोरंजन का अधिकार।
★ बाल शोषण से सुरक्षा का अधिकार।
पंडित जवाहरलाल नेहरू की जीवनी : Biography of Pt Jawaharlal Nehru
बाल दिवस पर लघु बाल कवितायें
1. हम बच्चे हैं फूलों जैसे, सपनों से भरे हुए।आसमान छूने की चाह लिए, हर दिन हैं बढ़ते हुए।पढ़ाई, खेल, और मस्ती, हर पल हम में बसी। बाल दिवस पर कहते हैं, हम बच्चों की दुनिया सजी।
2. हर बच्चा मुस्कान लाया। खेल-कूद और गीत सुनाए, हर कोई इस दिन को मनाए। सपनों में जो रंग भरे हैं, उनकी उड़ान में पंख दिए हैं। बचपन का ये त्योहार मनाएं, खुशियों के दीप जलाएं।

3 हमारी दुनिया है सबसे प्यारी, जहां दोस्ती और मस्ती भारी। रंग-बिरंगे सपने सजाएं, हर दिन को खास बनाएं। बचपन की ये दौलत है, मस्ती की जो हालत है। बाल दिवस का जश्न मनाएं, हर खुशी को गले लगाएं।
4. बचपन है सबसे प्यारा उपहार, हर पल में खुशियों की बहार। न कोई फिक्र, न कोई हिसाब हर दिन लगता है जैसे कोई ख्वाब चाचा नेहरू को करते हैं याद, बाल दिवस पर हंसे सारा संसार।
5. नन्हे-नन्हे ये मेरे कदम, चलते जाएं हरदम – हरदम । गिरते हैं, फिर उठ जाते हैं, आगे बढ़ने से नहीं घबराते हैं। हम हैं देश का आने वाला कल, दूर करेंगे हर छोटी मुश्किल।
6. स्कूल में मिलते हैं प्यारे दोस्त, मस्ती करते हैं हम सुबह से लेकर शाम तक। आज हमारा दिन है खास, हर चेहरे पर छाई है मिठास।
7. चाचा नेहरू हमें प्यारे थे, बच्चों के लिए सबसे न्यारे थे। आज उनका जन्मदिन आया, सबने मिलकर बाल दिवस मनाया। प्यार और आशीर्वाद हम सबको मिले, फूल जैसे हम सब खिलें और खिलें
8 बचपन
कुदरत ने जो दिया मुझे, है अनमोल खजाना कितना सुगम सलोना वो ये मुश्किल कह पाना दमक रहा ऐसे मानो, सोने सा बचपना फिक्र फिक्र नही कल की न किसी से सिकवा गिला मित्रो की जब टोली निकले, क्या खाये, बिन खाये। बड़े चाव से ऐसे चलते मानो जन्ग जीत कर आये।
9. एक बचपन का जमाना था
एक बचपन का जमाना था, जिस में खुशियों का खजाना था.. चाहत चांद को पाने की थी, पर दिल तितली का दिवाना था.. खबर ना थी कुछ सुबहा की, ना शाम का ठिकाना था.. थक कर आना स्कूल से, पर खेलने भी जाना था.. मां की कहानी थी, परीयों का फसाना था.. बारीश में कागज की नाव थी, हर मौसम सुहाना था.. हर खेल में साथी थे, हर रिश्ता निभाना था..गम की जुबान ना होती थी, ना जख्मों का पैमाना था.. रोने की वजह ना थी,
10. हम और हमारा बचपन
हम थें और बस हमारें सपने हम थें और बस हमारें सपने, उस छोटी सी दुनियां के थे हम शहजादे।
लगते थे सब अपनें-अपनें, अपना था वह मिट्टीं का घरौदा, अपनें थे वह गुड़ें-गुडिया, अपनी थी वह छोटी सी चिडिया, और उसकें छोटे से बच्चें।
अपनी थी वह परियो की क़हानी, अपने से थें दादा-दादी, नाना और नानी।
अपना सा था वह अपना गांव, बारिश की बूंदे कागज की नाव।
माना अब वह सपना सा हैं, पर लगता अब भीं अपना सा हैं।
निष्कर्ष
बाल दिवस केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह बच्चों के प्रति हमारी जिम्मेदारियों की पुनः पुष्टि का दिन है। पंडित नेहरू की दृष्टि और उनके सिद्धांत हमें स्मरण कराते हैं कि बच्चों की देखभाल और शिक्षा में निवेश करना व्यक्तिगत और राष्ट्रीय स्तर पर दोनों ही महत्वपूर्ण है।
बाल दिवस का संदेश स्पष्ट है: हर बच्चे को प्यार, सम्मान और अवसर मिलना चाहिए। यह हम सबका दायित्व है कि हम बच्चों के लिए ऐसा भविष्य सुनिश्चित करें जहां वे अपने सपनों को पूरा कर सकें और देश की उन्नति में योगदान दे सकें।
बाल दिवस से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)
- बाल दिवस कब मनाया जाता है?
A. भारत में हर वर्ष 14 नवम्बर को बाल दिवस मनाया जाता है।
- बाल दिवस क्यों मनाया जाता है?
A. यह दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के अवसर पर मनाया जाता है, जो बच्चों से बहुत प्रेम करते थे। उन्हें बच्चे “चाचा नेहरू” के नाम से पुकारते थे।
- बाल दिवस का मुख्य उद्देश्य क्या है?
A. बच्चों के अधिकारों, शिक्षा, स्वास्थ्य और उनके उज्जवल भविष्य के प्रति जागरूकता फैलाना।
- भारत में बाल दिवस की शुरुआत कब हुई?
A. पहले भारत में बाल दिवस 20 नवम्बर को मनाया जाता था (संयुक्त राष्ट्र का Universal Children’s Day)। 1957 में नेहरू जी के सम्मान में तारीख बदलकर 14 नवम्बर कर दी गई।
- बाल दिवस कैसे मनाया जाता है?
A. स्कूलों में खेल, निबंध प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम, भाषण, चित्रकला आदि आयोजित किए जाते हैं बच्चों को मिठाइयाँ दी जाती हैं और नेहरू जी को याद किया जाता है।
- अंतरराष्ट्रीय बाल दिवस कब मनाया जाता है?
A. 20 नवम्बर को विश्वभर में Universal Children’s Day मनाया जाता है।
- पंडित नेहरू को बच्चों से इतना प्यार क्यों था?
A. वे मानते थे कि बच्चे देश का भविष्य हैं और उनका विकास ही भारत की प्रगति है।